प्रस्तावना –
रक्षा बंधन का त्यौहार भारतीय त्योहारों में से एक प्राचीन त्यौहार है। रेशम की धागे से बहन द्वारा भाई के कलाई पर बांधे जाने की रीत को रक्षा बंधन कहते है। रक्षा का बंधन एक ऐसा रक्षा सूत्र है जो भाई को सभी संकट से बचने के लिए एक बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है। यह त्यौहार भाई-बहन के बीच पवित्र रिश्ते का प्रतिक है। रक्षा बंधन एक सामाजिक,धार्मिक और इतिहासिक भावना के धाँगे से बना एक ऐसा पवन बंधन है,जिसे रक्षाबंधन के नाम से केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशो में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।आजकल इस त्यौहार पर बहनें अपने भाई के घर मिठाई और राखी ले जाती है।बहन द्वारा भाई के कलाई पर राखी बांधने के बाद अपनी बहन को दक्षिणा स्वरुप रुपये या कुछ उपहार देते है।

रक्षा बंधन मानाने की शुरुवात –
पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर की यह कहानी बहुत ही प्रचलित है जब एक बार श्री कृष्ण के उंगली काट जाने पर द्रोपदी ने अपनी साड़ी के एक कोने को फाड़ कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। कथानुसार द्रोपदी के सबसे मुश्किल समय में श्री कृष्ण ने उस साड़ी के एक टुकड़े का कर्ज द्रोपदी का चीर हरण होने से बचा कर निभाया था। वह साड़ी का एक टुकड़ा श्री कृष्ण ने राखी समझ कर स्वीकार किये थे।एक बार मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने के पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ने में समर्थ थी अतः उन्होंने मुग़ल बादशाह हुमायु को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज राखी और मेवाड़ पहुंचकर बहादुरशाह के विरुद्ध मेवाड़ की और से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की। रक्षाबंधन की शुरुआत सबसे पहले रानी कर्मावती और सम्राट हुमायू के इसी प्रसंग से शुरू हुयी थी।
रक्षाबंधन मनाने का समय –
भाई बहन के बीच का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन हर साल मनाया जाता है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार यह तिथि अगस्त महीने में आती है। अगस्त महीने के 19/08/2024 को सुबह 6 बजे से लेकर सुबह 8 बजे का समय सबसे अच्छा होता है।
रक्षाबंधन मनाने का कारण –
रक्षाबंधन का त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योकि हर भाई को अपनी बहन के प्रति उसके कर्तव्य को याद दिलाता है। रक्षा बंधन के मौके पर हर बहन आपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसके हमेशा स्वस्थ और खुश रहने की कमाना करती है। भाई भी अपनी बहन को बदले में ये वचन देते है,कि कोई भी विपत्ति आने पर अपने बहन की हमेशा रक्षा करेगा।
रक्षाबंधन मनाने की विधि –
रक्षाबंधन की शुरुआत सुबह से ही शुरू हो जाती है।रक्षाबंधन पर बहनें सुबह स्नान करके पूजा की थाली सजाती है,पूजा की थाली में कुमकुम,राखी,रोली,अक्षत,दीपक तथा मिठाई राखी जाती है। उसके बाद घर के पूर्व दिशा में भाई को बैठकर उसकी आरती उतरी जाती है,सर पर अक्षत डाला जाता है,तथा माथे पर कुमकुम का तिलक लगाया जाता है।इसके बाद बहने अपने भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांध कर मिठाई खिलाती है। राखी बांधते वक्त बहनें अपने भाई की ख़ुशी,लम्बी उम्र और तरक्की की कामना करती है। और भाई भी अपनी बहन को मिठाई खिलता है और बदले में कोई उपहार या पैसे देते है। और भाई भी अपने कलाई पर राखी बंधवा कर अपनी बहन को यह वचन देता है,कि जीवनभर उसकी रक्षा करेगा।
रक्षाबंधन की तैयारियां-
रक्षाबंधन त्यौहार के एक या दो दिन पहले से ही बाजारो में दुकाने सज जाती है। राखी ,मिठाई ,गिफ्ट ,आदि खरीदने के लिए दुकानों पर लोगो की भीड़ जमा होने लगती है। राखी से सजी दुकाने बहुत ही सुन्दर लगाती है। अन्य त्योहारों की तरह उपहार और खाने -पीने के विशेष पकवानो का महत्व रक्षाबंधन में भी होता है। रक्षाबंधन के दिन घरो में सुबह से ही विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते है,जैसे गुजिया ,मिठाई सेवई आदि।
उपसंहार –
भाइयो और बहनों के लिए रक्षा बंधन का एक विशेष महत्व है। कई सारे भाई -बहन एक-दूसरे से व्यावसायिक और व्यक्तिगत कारणों से मिल नहीं पाते,लेकिन इस विशेष अवसर पर वह एक-दूसरे के लिए निश्चित रूप से समय निकल कर इस पवित्र पर्व को मनाते है।
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