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भारत में मुंह के कैंसर का बढ़ता मामला,धुआं रहित तंबाकू और सुपारी का प्रभाव।

संक्षिप्त विवरण :भारत में मुंह के कैंसर का बढ़ता मामला।

लैंसेट के एक नए अध्ययन के अनुसार, दक्षिण एशिया में मुंह के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले भारत में हैं। भारत में सुपारी और तंबाकू के साथ सुपारी का सेवन मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण पाया गया है।

तंबाकू, खैनी और गुटका के साथ पान कुछ ऐसे धुआं रहित तंबाकू उत्पाद हैं जो भारत में मौखिक कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार, सुपारी ने मौखिक कैंसर के मामलों में भारत को दक्षिण एशिया में शीर्ष पर लाने में भी मदद की है। इस प्रकार का कैंसर मुंह और गले के पिछले हिस्से को प्रभावित करता है। इससे न केवल आपका गला खराब हो जाता है, बल्कि आपको निगलने, चबाने या यहां तक ​​कि बोलने में भी कठिनाई हो सकती है। भारत में मुंह के कैंसर के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। यह बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन और म्यांमार जैसे देशों में भी एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता का विषय है।

मुँह के कैंसर पर अध्ययन।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में दक्षिण एशिया में मौखिक कैंसर के सबसे अधिक मामले पाए गए। लैंसेट ऑन्कोलॉजी अक्टूबर 2024 में। गुटका, तम्बाकू के साथ सुपारी, खैनी और सुपारी कुछ धुआं रहित तम्बाकू उत्पाद हैं जिनका भारत में व्यापक रूप से सेवन किया जाता है। इन उत्पादों को देश में मौखिक कैंसर के मामलों में वृद्धि का प्रमुख कारण पाया गया। द्वारा प्रकाशित 2015 के एक शोध के अनुसार, सुपारी, जिसे अक्सर पान के पत्ते में लपेटा जाता है, को टाइप 1 कार्सिनोजेन माना जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन.

दक्षिण एशिया में मुंह के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले भारत में हैं। छवि सौजन्य: एडोब स्टॉक

अध्ययन के अनुसार, 2022 में दुनिया के 120,200 मौखिक कैंसर के मामलों में से 83,400 भारत में थे। भारत में महिलाओं में मुंह के कैंसर के मामलों का प्रमुख कारण सुपारी का सेवन (30 प्रतिशत) पाया गया। इसके बाद तम्बाकू (28 प्रतिशत), गुटखा (21 प्रतिशत) और खैनी (21 प्रतिशत) के साथ पान का स्थान रहा। पुरुषों में मुंह का कैंसर होने का मुख्य कारण खैनी (47 प्रतिशत) है। अन्य कारण गुटखा (43 प्रतिशत), तम्बाकू के साथ सुपारी (33 प्रतिशत) और सुपारी (32 प्रतिशत) थे।

.मुँह का कैंसर, जिसे ओरल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है, मुँह के विभिन्न हिस्सों जैसे होंठ, जीभ, गालों, मुंह के तल, और मसूड़ों में विकसित हो सकता है। यह कैंसर धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, शराब, और मानव पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण के कारण हो सकता है। यह बीमारी भारत और अन्य देशों में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।

मुँह के कैंसर के प्रकार

  1. सक्वैमस सेल कार्सिनोमा: यह मुँह का सबसे सामान्य कैंसर है, जो ऊपरी स्क्वैमस कोशिकाओं में शुरू होता है।
  2. एडेनोकार्सिनोमा: यह ग्रंथियों में विकसित होता है, जो लार और अन्य तरल पदार्थों का उत्पादन करती हैं।
  3. लिंफोमा: यह लिंफ नोड्स में होता है और मुँह के ऊतकों को प्रभावित कर सकता है।

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि मुंह के कैंसर के 31 प्रतिशत मामलों को धुआं रहित तंबाकू और सुपारी का सेवन न करने से टाला जा सकता है।

मुँह का कैंसर क्या है?

मुँह का कैंसर, जिसे ओरल कैंसर भी कहा जाता है, मुँह के विभिन्न हिस्सों में (जैसे होंठ, जीभ, गाल, और मसूड़े) होने वाली कैंसर की एक प्रकार की बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर मुँह की त्वचा की कोशिकाओं में शुरू होती है, और इसका विकास तब होता है जब कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। मुँह का कैंसर अक्सर धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, और अत्यधिक शराब पीने से होता है। इसके अन्य कारणों में HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण और खराब दांतों की सफाई शामिल हैं।

मुँह के कैंसर के लक्षणों में मुँह में घाव, दर्द, सफेद या लाल धब्बे, और निगलने में कठिनाई शामिल हो सकते हैं। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह अन्य अंगों में फैल सकता है। इसका उपचार सर्जरी, विकिरण, और कीमोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है। इसके साथ ही, नियमित दंत परीक्षण और मुँह की स्वच्छता बनाए रखना इस रोग के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है। मुँह के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सही जानकारी प्राप्त करना इस गंभीर बीमारी से बचाव में महत्वपूर्ण है।

  • पाइप, सिगरेट और सिगार का उपयोग और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पीने से मुंह का कैंसर हो सकता है।
  • तंबाकू चबाने से भी आपको मुंह का कैंसर होने का खतरा रहता है।
  • भारी शराब के सेवन से भी खतरा बढ़ जाता है। यौन संचारित मानव पैपिलोमावायरस (विशेष रूप से एचपीवी 16 प्रकार) के संक्रमण से मौखिक कैंसर हो सकता है।
  • उम्र के साथ मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है।
  • होठों का कैंसर अत्यधिक धूप में रहने के कारण हो सकता है।
  • कम फल और सब्जियों वाला आहार मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है।
  • जीन में वंशानुगत दोष वाले व्यक्तियों में मध्य गले और मुंह का कैंसर हो सकता है।

मुँह के कैंसर के लक्षण: जानें इसके संकेत और पहचानें समय पर

मुँह का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो समय पर पहचानने पर ही सफल उपचार किया जा सकता है। इसके लक्षण कई बार सामान्य होते हैं, इसलिए इन्हें नजरअंदाज करना आसान होता है। इस लेख में, हम मुँह के कैंसर के प्रमुख लक्षणों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

मुँह के कैंसर के लक्षण:

  1. अधिक समय तक ठीक न होने वाली घाव या छाले:
  2. मुँह में यदि कोई घाव या छाला है जो कई हफ्तों से ठीक नहीं हो रहा है, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
  3. दर्द या असहजता:
    • मुँह के अंदर, जीभ, या गाल के अंदर किसी प्रकार का दर्द या असहजता महसूस होना।
  4. खाने-पीने में दिक्कत:
    • निगलने में कठिनाई या खाने के दौरान दर्द महसूस करना।
  5. लार में बदलाव:
    • लार की मात्रा में अचानक बदलाव आना या लार का गाढ़ा होना।
  6. स्वाद में बदलाव:
    • भोजन का स्वाद अचानक बदल जाना या मीठे और खट्टे का स्वाद न आना।
  7. बड़ी गांठें:
    • मुँह के अंदर या गले में किसी भी प्रकार की गांठ का उभरना।
  8. वजन में कमी:
    • बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक वजन कम होना।
  9. आवाज़ में बदलाव:

आवाज़ में अचानक बदलाव या घुमाव आना।

  1. गंध या बदबू:
    1. मुँह से अप्रिय गंध आना, जो कि सामान्य मुँह की सफाई से भी ठीक नहीं हो रही हो।

मुँह के कैंसर का पता कैसे लगाया जाता है?

यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं:

  • शारीरिक परीक्षण
  • बायोप्सी (टिश्यू का नमूना लेना)
  • इमेजिंग परीक्षण (जैसे, एक्स-रे, सीटी स्कैन)

मुँह के कैंसर का निदान कैसे करें?

मुँह के कैंसर (Oral Cancer) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो अक्सर समय पर निदान न होने पर खतरनाक हो सकता है। इस लेख में, हम मुँह के कैंसर के निदान की प्रक्रिया और आवश्यक परीक्षणों के बारे में चर्चा करेंगे।

निदान की प्रक्रिया

मुँह के कैंसर का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

  1. मौखिक परीक्षा: डॉक्टर मुँह, जीभ, और गले का भौतिक परीक्षण करते हैं। इसमें किसी भी असामान्यता की खोज की जाती है।
  2. बायोप्सी: यदि कोई संदिग्ध क्षेत्र पाया जाता है, तो डॉक्टर एक छोटी मात्रा में ऊतक निकाल सकते हैं (बायोप्सी) और इसे लैब में भेजते हैं। यह कैंसर की पुष्टि करने में मदद करता है।
  3. इमेजिंग परीक्षण: डॉक्टर मुँह और गले की स्थिति का अधिक स्पष्ट चित्र प्राप्त करने के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई या पिटी स्कैन का उपयोग कर सकते हैं।
  4. दूसरे परीक्षण: रक्त परीक्षण भी कुछ कैंसर के संकेतों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।

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मुँह के कैंसर का इलाज

मुँह का कैंसर आजकल एक आम स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। इसे आमतौर पर तंबाकू, शराब, और अन्य अस्वास्थ्यकर आदतों से जोड़ा जाता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। इस लेख में हम मुँह के कैंसर के इलाज के विभिन्न विकल्प और इसके बचाव के बारे में बात करेंगे।

मुँह के कैंसर के मुख्य लक्षण

  • मुँह में घाव जो लंबे समय तक ठीक न हो
  • मसूड़ों, गाल, या जीभ पर लाल या सफेद धब्बे
  • बोलने या खाने में कठिनाई
  • वजन में अचानक कमी

मुँह के कैंसर के इलाज के विकल्प

  1. सर्जरी
    सर्जरी द्वारा कैंसर के संक्रमित हिस्से को हटाया जाता है। शुरुआती चरण में यह प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो सकती है।
  2. रेडिएशन थेरेपी
    इसमें उच्च-ऊर्जा किरणों का प्रयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह उपचार तब किया जाता है जब कैंसर को सर्जरी से पूरी तरह नहीं हटाया जा सकता।
  3. कीमोथेरेपी
    कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का प्रयोग होता है। इसे रेडिएशन या सर्जरी के साथ भी किया जा सकता है।
  4. इम्यूनोथेरेपी
    इम्यूनोथेरेपी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाता है ताकि वह कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके।

मुँह के कैंसर से बचाव कैसे करें?

  • तंबाकू और शराब का सेवन न करें।
  • संतुलित आहार जैसे फल, सब्जियाँ और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीज़ें खाएं।
  • सूरज की तेज किरणों से बचें और लिप बाम का उपयोग करें।
  • नियमित चेकअप कराएं।

मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना और सही समय पर चिकित्सा लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो डॉक्टर से संपर्क करना न भूलें।

नोट: मुँह के कैंसर का इलाज व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और कैंसर के स्टेज पर निर्भर करता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

मुँह के कैंसर के घरेलू उपचार

1. हल्दी और शहद

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। एक चम्मच हल्दी और शहद मिलाकर खाने से मुँह के घावों को कम किया जा सकता है।

2. लहसुन

लहसुन में ऐंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा कर सकते हैं। रोज सुबह खाली पेट एक लहसुन की कली खाना फायदेमंद हो सकता है।

3. एलोवेरा का रस

एलोवेरा का रस सूजन और जलन को कम करता है। रोजाना एक चम्मच एलोवेरा का रस पीने से मुँह की सूजन और घावों में राहत मिल सकती है।

4. ग्रीन टी

ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो मुँह के कैंसर से लड़ने में सहायक हो सकते हैं। रोजाना एक या दो कप ग्रीन टी पीने से फायदा हो सकता है।

5. तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्ते में एंटी-कैंसर गुण होते हैं। कुछ तुलसी के पत्तों को चबाने से मुँह के कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है।

सावधानियाँ

  • तम्बाकू और शराब से दूर रहें, क्योंकि ये मुँह के कैंसर का मुख्य कारण होते हैं।
  • अपने मुँह की नियमित जांच करवाएँ और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।

नोट: ये घरेलू नुस्खे मुँह के कैंसर का इलाज नहीं हैं। ये केवल राहत के लिए हैं। किसी भी प्रकार की जटिलता होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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