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प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं।

प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं। सही आहार का चयन माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस विशेष समय में, आपको पोषण से भरपूर भोजन करना चाहिए जो बच्चे के विकास में मदद करे और आपको स्वस्थ बनाए रखे। फल, सब्जियाँ, दालें, दूध, और सूखे मेवे जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। वहीं, अत्यधिक मसालेदार, तले हुए और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इस लेख में आपको सही और पूर्ण जानकारी मिलेगी कि प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, ताकि आप और आपका बच्चा दोनों स्वस्थ रहें।

प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं।
प्रेग्नेंसी में हेल्दी डाइट क्यों है ज़रूरी?

प्रेग्नेंसी में हेल्दी डाइट क्यों है ज़रूरी?

प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी और संतुलित डाइट आपके और आपके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सही और प्राकृतिक डाइट में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, जो शारीरिक विकास, इम्यून सिस्टम की मजबूती और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, और डेयरी प्रोडक्ट्स को आहार में शामिल करने से शिशु के दिमाग और शरीर का सही विकास होता है। असंतुलित और जंक फूड से बचें, क्योंकि यह गर्भावस्था संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है।अपने डॉक्टर से या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जानकरी ले सकती है।अपना और अपने बच्चे का सही देखभाल कर सकती है।

दूसरी तिमाही के दौरान ज़रूरी पोषण: खाने की लिस्ट।

गर्भावस्था के दौरान दूसरी तिमाही एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब आपके बच्चे की ग्रोथ और विकास तेज़ी से होता है। इस समय माँ और बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए सही और प्राकृतिक पोषण बहुत ज़रूरी है। आइए जानते हैं कि इस दौरान कौन-कौन से आहार आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।

दूसरी तिमाही के दौरान पोषण की ज़रूरते।

  1. प्रोटीन: प्रोटीन बच्चे के मांसपेशियों और ऊतकों के निर्माण में मदद करता है। इस दौरान हर दिन 70-80 ग्राम प्रोटीन का सेवन करें।
    • खाने में शामिल करें: अंडा, दूध, पनीर, दाल, सोया, और नट्स।
  2. आयरन और फॉलिक एसिड: आयरन और फॉलिक एसिड बच्चे के दिमाग और नर्वस सिस्टम के विकास के लिए ज़रूरी हैं। आयरन हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है।
    • खाने में शामिल करें: पालक, बथुआ, चुकंदर, सेब, किशमिश, और अंजीर।
  3. कैल्शियम और विटामिन डी: कैल्शियम बच्चे की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होता है।
    • खाने में शामिल करें: दूध, दही, पनीर, टोफू, तिल, और सूरज की रोशनी।
  4. ओमेगा-3 फैटी एसिड: बच्चे के मस्तिष्क और आंखों के विकास के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत महत्वपूर्ण है।
    • खाने में शामिल करें: अलसी के बीज, अखरोट, और मछली (यदि आप मांसाहारी हैं)।
  5. फाइबर: गर्भावस्था के दौरान कब्ज़ एक आम समस्या होती है। इसे दूर करने के लिए फाइबर युक्त आहार लें।
    • खाने में शामिल करें: साबुत अनाज, ब्राउन राइस, ओट्स, फल, और हरी सब्ज़ियां।
  6. विटामिन सी: विटामिन सी आयरन के अवशोषण में मदद करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
    • खाने में शामिल करें: नींबू, संतरा, आंवला, और अमरूद।

खाने की लिस्ट।

सुबह का नाश्ता। 

  • 1 कटोरी ओट्स या दलिया दूध के साथ।
  • 1 उबला हुआ अंडा या मूंग दाल का चीला।
  • 1 गिलास नारियल पानी।

दोपहर का खाना। 

  • 2 रोटी, 1 कटोरी दाल, हरी सब्ज़ी और सलाद।
  • 1 कटोरी दही।

शाम का स्नैक। 

  • मुट्ठीभर नट्स (बादाम, अखरोट)।
  • 1 फल जैसे सेब या केला।

रात का खाना। 

  • ब्राउन राइस या खिचड़ी के साथ सब्ज़ी।
  • 1 गिलास गर्म दूध।
प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं।
प्रेग्नेंसी में ध्यान देने योग्य बाते।

ध्यान देने योग्य बाते।

  • हर दिन 8-10 गिलास पानी पिएं।
  • छोटे-छोटे अंतराल में खाएं।
  • डॉक्टर से समय-समय पर अपनी डाइट और सप्लिमेंट्स पर चर्चा करें।

दूसरी तिमाही में सही और संतुलित आहार न केवल माँ के स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि बच्चे के समग्र विकास को भी सुनिश्चित करता है। प्राकृतिक और पौष्टिक आहार को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ गर्भावस्था का आनंद लें।इसके सेवन से बच्चे का विकाश बहुत तेजी के साथ होता है। अपने डाइट में इन सबको जरूर सेवन करे।

तीसरी तिमाही में क्या खाएं: शिशु के विकास के लिए जरूरी आहार।

गर्भावस्था का तीसरा तिमाही आपके और आपके शिशु के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय शिशु का विकास तेजी से होता है, और आपके द्वारा लिया गया आहार उसके स्वास्थ्य और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लेख आपको बताएगा कि तीसरी तिमाही में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए, जो न सिर्फ आपके स्वास्थ्य को बनाए रखें, बल्कि शिशु के विकास में भी मदद करें।

क्यों है सही आहार जरूरी?

तीसरी तिमाही में शिशु का मस्तिष्क, हड्डियां और इम्यून सिस्टम विकसित हो रहे होते हैं। सही पोषण न सिर्फ शिशु के वजन को बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि डिलीवरी के बाद तेजी से रिकवरी में भी सहायक होता है।

जरूरी पोषक तत्व और उनके स्रोत।

1. प्रोटीन

  • महत्व: शिशु के मांसपेशियों और ऊतकों के विकास के लिए आवश्यक।
  • स्रोत: अंडे, मछली, चिकन, दालें, सोयाबीन, और नट्स।

2. कैल्शियम

  • महत्व: हड्डियों और दांतों के विकास के लिए।
  • स्रोत: दूध, दही, पनीर, और हरी पत्तेदार सब्जियां।

3. आयरन

  • महत्व: खून की मात्रा बढ़ाने और शिशु तक ऑक्सीजन पहुंचाने में सहायक।
  • स्रोत: पालक, चुकंदर, किशमिश, अंजीर, और मांस।

4. फोलिक एसिड

  • महत्व: शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए।
  • स्रोत: संतरा, ब्रोकली, एवोकाडो, और अंडे।

5. ओमेगा-3 फैटी एसिड

  • महत्व: मस्तिष्क और आंखों के विकास के लिए।
  • स्रोत: फ्लैक्ससीड्स, चिया सीड्स, अखरोट, और सैल्मन मछली।

6. फाइबर

  • महत्व: पाचन को ठीक रखने और कब्ज से बचाने के लिए।
  • स्रोत: साबुत अनाज, ओट्स, फल, और सब्जियां।

7. विटामिन डी

  • महत्व: कैल्शियम के अवशोषण में मददगार।
  • स्रोत: सूर्य की रोशनी, मशरूम, और विटामिन डी युक्त दूध।

दिनचर्या में कैसे शामिल करें?

  1. दिन की शुरुआत एक ग्लास गर्म दूध और कुछ भीगे हुए बादाम से करें।
  2. नाश्ते में ओट्स, फलों का सलाद या मल्टीग्रेन परांठा लें।
  3. दोपहर के भोजन में दाल, रोटी, सब्जी और सलाद शामिल करें।
  4. स्नैक्स के रूप में मखाना, मूंगफली, या फलों का सेवन करें।
  5. रात के खाने में हल्का और पोषण युक्त खाना जैसे खिचड़ी या सूप लें।

हाइड्रेशन भी है जरूरी।

गर्भावस्था के दौरान पानी की कमी से बचना बहुत जरूरी है। दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। साथ ही नारियल पानी, लेमन वॉटर और ताजे फलों के जूस का सेवन भी फायदेमंद रहेगा।

गर्भावस्था के पहले तिमाही में किन चीज़ों से बचें।

गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक खास समय होता है। इस दौरान न केवल आपके शरीर में कई बदलाव होते हैं, बल्कि आपके खानपान और जीवनशैली पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी हो जाता है। खासकर गर्भावस्था की पहली तिमाही में, क्योंकि यह समय भ्रूण के विकास की नींव रखता है। आइए जानते हैं, गर्भावस्था के पहले तिमाही में किन चीज़ों से बचना चाहिए:

1. कच्चे और अधपके भोजन से परहेज करें। 

पहली तिमाही में कच्चे या अधपके भोजन का सेवन न करें। इससे खाद्य जनित बीमारियों जैसे लिस्टेरिया या साल्मोनेला का खतरा हो सकता है। कच्चे मांस, मछली और अंडे से दूरी बनाएं।

2. अत्यधिक कैफीन का सेवन न करें

कैफीन का अधिक मात्रा में सेवन गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। दिनभर में 200 मिलीग्राम से अधिक कैफीन का सेवन न करें।

3. धूम्रपान और शराब का सेवन पूरी तरह बंद करें

धूम्रपान और शराब का सेवन भ्रूण के विकास में गंभीर बाधाएं उत्पन्न कर सकता है। इससे गर्भपात या जन्म दोषों का खतरा बढ़ सकता है।

4. तनाव और भारी शारीरिक गतिविधि से बचें। 

पहली तिमाही में अत्यधिक तनाव और भारी शारीरिक गतिविधियों से बचें। यह समय आराम और हल्के व्यायाम के लिए उपयुक्त है। योग और प्राणायाम जैसे विकल्प अपनाएं।

5. दवाइयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें। 

गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें। कई दवाएं भ्रूण के विकास पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं।

6. प्रदूषण और विषाक्त रसायनों से दूर रहें। 

रसायनों, पेंट्स, कीटनाशकों और धुएं जैसे हानिकारक तत्वों से दूर रहें। ये तत्व गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

7. ज्यादा तली-भुनी और मसालेदार चीज़ों से बचें

ज्यादा तली-भुनी और मसालेदार चीज़ें पाचन तंत्र पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। यह अपच और एसिडिटी का कारण बन सकती हैं।जिससे आपको और आपके बच्चे को कभी ज्यादा नुकशान पहुँचता है। इस सब चीजों से बचे और परहेज जरूर करे।

प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं।
प्रेग्नेंसी में किन फलों का सेवन करें और किन से बचें?

प्रेग्नेंसी में किन फलों का सेवन करें और किन से बचें?

प्रेग्नेंसी के दौरान सही खानपान बेहद महत्वपूर्ण होता है। खासतौर पर, फलों का सेवन करना न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए बल्कि आपके शिशु के विकास के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। हालांकि, कुछ फल ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान सावधानी से खाना चाहिए। आइए जानते हैं, प्रेग्नेंसी में किन फलों का सेवन करना चाहिए और किनसे बचना चाहिए।

प्रेग्नेंसी में खाने के लिए उपयुक्त फल

1. सेब (Apple)

सेब विटामिन C, पोटेशियम और फाइबर से भरपूर होता है, जो गर्भावस्था के दौरान पाचन को सुधारता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।

2. केला (Banana)

केला ऊर्जा का अच्छा स्रोत है और इसमें फोलिक एसिड, विटामिन B6 और पोटेशियम होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है। यह मॉर्निंग सिकनेस को कम करने में मदद करता है।

3. संतरा (Orange)

संतरा विटामिन C और फोलिक एसिड का बेहतरीन स्रोत है। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।

4. अनार (Pomegranate)

अनार में आयरन और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो खून की कमी को पूरा करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।

5. पपीता (पका हुआ) (Ripe Papaya)

पका हुआ पपीता पाचन में मदद करता है और फाइबर व विटामिन C का अच्छा स्रोत है। ध्यान रखें कि केवल पका हुआ पपीता ही खाएं।

6. आम (Mango)

आम विटामिन A और C से भरपूर होता है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि आपके और आपके शिशु के लिए पोषण से भरपूर भी है।

प्रेग्नेंसी में किन फलों से बचना चाहिए?

1. कच्चा पपीता (Raw Papaya)

कच्चा पपीता लेटेक्स नामक तत्व से भरपूर होता है, जो गर्भाशय संकुचन का कारण बन सकता है और समय से पहले प्रसव या गर्भपात का खतरा बढ़ा सकता है।

2. अंगूर (Grapes)

अंगूर में रेसवेराट्रॉल नामक तत्व होता है, जो गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है। इसके अलावा, अंगूर में एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती है।

3. अनानास (Pineapple)

अनानास में ब्रोमेलैन नामक एंजाइम होता है, जो गर्भाशय को नरम कर सकता है और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ा सकता है।

4. काले जामुन (Blackberries)

काले जामुन का अधिक सेवन करने से पेट में गैस और अपच की समस्या हो सकती है, इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें।

कुछ महत्वपूर्ण सुझाव।

  1. फलों को धोकर खाएं: फलों पर लगे कीटनाशक गर्भवती महिला और शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, फलों को अच्छी तरह धोने के बाद ही खाएं।
  2. ताजे फल खाएं: ताजे और मौसमी फल गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे अच्छे होते हैं।
  3. संतुलित मात्रा में खाएं: किसी भी फल का अत्यधिक सेवन न करें। हर चीज का सेवन संतुलित मात्रा में करना ही सुरक्षित है।

प्रेग्नेंसी के दौरान सही फलों का चुनाव और सेवन आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा। ऊपर बताए गए सुझावों का पालन करें और किसी भी तरह की असुविधा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

गर्भावस्था में कौन-कौन से ड्रिंक्स फायदेमंद और कौन से हानिकारक हैं?

गर्भावस्था एक विशेष और संवेदनशील समय होता है, जिसमें आपके खान-पान का सीधा असर आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस दौरान ड्रिंक्स का सही चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि गर्भावस्था में कौन-कौन से ड्रिंक्स फायदेमंद होते हैं और कौन से हानिकारक।

फायदेमंद ड्रिंक्स

1. नारियल पानी का उपयोग करे। 

नारियल पानी प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स का अच्छा स्रोत है। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और थकान को दूर करता है।

2. दूध और दूध से बने पेय का उपयोग करे। 

दूध कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। आप दूध के साथ हल्दी दूध या बनाना शेक भी ले सकती हैं।

3. ताजा फलों का जूस का उपयोग करे। 

ताजे फलों के रस में विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। संतरा, सेब, और अनार के जूस विशेष रूप से फायदेमंद हैं। ध्यान रखें कि रस ताजा और बिना चीनी का हो।

4. लेमन वाटर (नींबू पानी) का उपयोग करे। 

नींबू पानी पाचन को सुधारता है और मॉर्निंग सिकनेस को कम करता है। इसमें विटामिन C भी भरपूर मात्रा में होता है।

5. जौ का पानी (Barley Water)का उपयोग करे। 

जौ का पानी शरीर को डिटॉक्स करता है और संक्रमण से बचाने में मदद करता है।

6. हर्बल टी का उपयोग करे। 

कैमोमाइल, अदरक, और पुदीने की चाय गर्भावस्था में सुरक्षित मानी जाती है। ये तनाव को कम करती है और पाचन में मदद करती है।

हानिकारक ड्रिंक्स। 

1. कैफीन युक्त ड्रिंक्स से बचे।  

चाय, कॉफी और एनर्जी ड्रिंक्स में अधिक कैफीन होता है, जो गर्भावस्था में सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। अधिक कैफीन का सेवन भ्रूण के विकास पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

2. अल्कोहल से बचे।  

अल्कोहल का सेवन गर्भावस्था में पूरी तरह से वर्जित है। यह बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।

3. पैक्ड और कैन वाले जूस से बचे।  

इनमें प्रिजरवेटिव्स और अतिरिक्त चीनी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

4. सोडा और कोल्ड ड्रिंक्स से बचे। 

सोडा और कोल्ड ड्रिंक्स में हाई शुगर और कैफीन होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा नहीं है। ये डिहाइड्रेशन और गैस की समस्या पैदा कर सकते हैं।

5. कच्चा या अनपाश्चुरीकृत दूध से बचे। 

इसमें हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

महत्वपूर्ण सुझाव। 

  • हमेशा ताजे और प्राकृतिक पेय पदार्थों का चयन करें।
  • ज्यादा चीनी या प्रिजरवेटिव वाले पेय से बचें।
  • कोई भी नया पेय शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

प्रेग्नेंसी में आयरन और कैल्शियम की कमी कैसे पूरी करें।

गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के दौरान माँ और बच्चे दोनों की सेहत का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है। आयरन और कैल्शियम शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व हैं, जो माँ और गर्भ में पल रहे बच्चे की सही वृद्धि और विकास सुनिश्चित करते हैं। यदि इनकी कमी हो जाए, तो यह स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि प्रेग्नेंसी में आयरन और कैल्शियम की कमी को प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से कैसे पूरा किया जा सकता है।

आयरन की कमी के लक्षण और समाधान।

आयरन की कमी क्यों होती है? गर्भावस्था में शरीर को सामान्य से अधिक आयरन की आवश्यकता होती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है, जो ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाता है। आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिससे थकान, कमजोरी और चक्कर आना जैसी समस्याएं होती हैं।

आयरन युक्त खाद्य पदार्थ। 

  1. हरी पत्तेदार सब्जियाँ: पालक, मेथी, सरसों की पत्तियाँ आयरन से भरपूर होती हैं।
  2. सूखे मेवे: किशमिश, खुबानी और बादाम का सेवन करें।
  3. दालें और अनाज: मसूर की दाल, चने, और साबुत अनाज आयरन का अच्छा स्रोत हैं।
  4. फलों में आयरन: अनार, सेब, और चुकंदर आयरन के लिए बेहतरीन विकल्प हैं।

आयरन के अवशोषण के लिए टिप्स। 

  • विटामिन सी वाले फलों (जैसे संतरा, नींबू) के साथ आयरन युक्त भोजन करें।
  • चाय और कॉफी का सेवन भोजन के साथ न करें, क्योंकि यह आयरन के अवशोषण में बाधा डालती हैं।

कैल्शियम की कमी के लक्षण और समाधान।

कैल्शियम की आवश्यकता क्यों होती है? कैल्शियम हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह माँ और बच्चे दोनों के लिए आवश्यक है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान बच्चे की हड्डियों का विकास होता है। कैल्शियम की कमी से हड्डियों में कमजोरी और माँ को ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या हो सकती है।

कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ। 

  1. डेयरी उत्पाद: दूध, दही, पनीर कैल्शियम के सबसे अच्छे स्रोत हैं।
  2. सूखे मेवे: अंजीर और बादाम का सेवन करें।
  3. बीज: तिल और अलसी के बीज कैल्शियम से भरपूर होते हैं।
  4. हरी सब्जियाँ: ब्रोकली, बंदगोभी, और मेथी कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।

कैल्शियम अवशोषण के लिए टिप्स। 

  • विटामिन डी (सूरज की रोशनी, अंडे और मशरूम) का सेवन कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है।
  • ज्यादा नमक और कैफीन का सेवन कम करें।

नियमित दिनचर्या और जीवनशैली।

  1. संतुलित आहार लें: गर्भावस्था में पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना जरूरी है।
  2. डॉक्टर से परामर्श लें: किसी भी प्रकार की सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
  3. व्यायाम करें: हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या योग करें, जो डॉक्टर ने सुझाया हो।
  4. भरपूर पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है।

ध्यान देने योग्य बाते। 

आयरन और कैल्शियम की कमी को पूरा करना गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने का एक अहम हिस्सा है। प्राकृतिक और संतुलित आहार से इन आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करना न केवल माँ बल्कि बच्चे की सेहत के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही, डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा या सप्लीमेंट का सेवन न करें।

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