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डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा।

भारत में हाल ही में डिप्थीरिया से 7 बच्चों की दुखद मृत्यु ने इस खतरनाक बीमारी की ओर ध्यान खींचा है। डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा। आइये जानते है इसके बारे में विशेषज्ञ क्या कह रहे है। डिप्थीरिया एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है जो गले, नाक, और कभी-कभी त्वचा को प्रभावित करता है। यह संक्रमण बैक्टीरिया Corynebacterium diphtheriae के कारण होता है, और इसके प्रसार से बच्चों और बुजुर्गों को अत्यधिक खतरा होता है।

डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा।

डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है जो विशेषकर बच्चों को प्रभावित करती है। यह बीमारी बैक्टीरिया द्वारा होती है, जो गले और श्वसन तंत्र में संक्रमण उत्पन्न करती है। भारत में, पिछले कुछ वर्षों में डिप्थीरिया से होने वाली बच्चों की मौतों में वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे मुख्य कारणों में टीकाकरण की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच का अभाव, और जागरूकता की कमी शामिल हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में, माता-पिता को डिप्थीरिया के खतरों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती, जिससे बच्चों का टीकाकरण समय पर नहीं हो पाता।

भारत में डिप्थीरिया के मामलों में बढ़ोतरी से निपटने के लिए, स्वास्थ्य विभाग को न केवल टीकाकरण कार्यक्रमों को मजबूत करने की आवश्यकता है, बल्कि समुदायों में जागरूकता फैलाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा के लिए माता-पिता को चाहिए कि वे नियमित रूप से अपने बच्चों को टीका लगवाएं और इस बीमारी के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें। अगर इस समस्या का समय पर समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में डिप्थीरिया से होने वाली मौते और भी बढ़ सकती हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम एकजुट होकर इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ जागरूकता फैलाएं और प्रभावी कदम उठाएं।

डिप्थीरिया क्या है।

डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया कोराइनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया के कारण होती है। इसे हिंदी में गलघोंटू रोग भी कहा जाता है। डिप्थीरिया मुख्य रूप से गले और नाक की परत पर हमला करता है और गंभीर मामलों में हृदय, तंत्रिका तंत्र और किडनी को भी प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक के माध्यम से हवा में फैलने वाले छोटे कणों के जरिए फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन“गर्म जलवायु में, डिप्थीरिया के रोगियों में त्वचा पर घाव हो सकते हैं जो ठीक नहीं होते हैं और भूरे ऊतक में लिपटे होते हैं। इस प्रकार का डिप्थीरिया, जिसे त्वचीय डिप्थीरिया के रूप में जाना जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका में भी आम है जहां लोग भीड़-भाड़ वाले और हानिकारक वातावरण में रहते हैं।

डिप्थीरिया के लक्षणों में गले में दर्द, बुखार, सूजन, और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। यह रोग एक झिल्ली जैसी परत का निर्माण करता है, जो गले और श्वास नली को अवरुद्ध कर सकती है और सांस लेने में दिक्कत उत्पन्न कर सकती है। यह बीमारी अधिकतर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों में पाई जाती है, लेकिन इसका प्रभाव किसी भी आयु वर्ग में हो सकता है।

डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा।
डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा।

भारत में डिप्थीरिया के खिलाफ कई टीकाकरण अभियान चलाए गए हैं, और डीपीटी (डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटनस) वैक्सीन बच्चों को इस संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक है। हालांकि, अभी भी कुछ ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में डिप्थीरिया के मामले सामने आते हैं, जिनका समय पर उपचार न होने पर यह घातक भी हो सकता है।

डिप्थीरिया से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। यदि किसी व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।

डिप्थीरिया के कारण। (Causes of Diphtheria)

डिप्थीरिया एक गंभीर और संक्रामक बीमारी है जो Corynebacterium diphtheriae नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से गले और श्वसन तंत्र पर हमला करता है। यह बीमारी बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में अधिक फैलने की संभावना होती है। यहां हम डिप्थीरिया के मुख्य कारणों और इसके फैलने के तरीके पर चर्चा करेंगे।

1. बैक्टीरिया का संक्रमण

  • डिप्थीरिया के बैक्टीरिया, Corynebacterium diphtheriae, जब किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं, तब वे शरीर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक टॉक्सिन (जहर) उत्पन्न करते हैं।
  • यह टॉक्सिन शरीर के ऊतकों में सूजन और कोशिकाओं का विनाश करता है, जो गले में झिल्ली बनने का कारण बनता है।

2. हवा के माध्यम से फैलाव

  • डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है जो हवा के माध्यम से भी फैल सकती है।
  • जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण हो सकता है।

3. संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आना

  • अगर किसी संक्रमित व्यक्ति ने किसी वस्तु को छुआ है और फिर वही वस्तु एक स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आती है, तो डिप्थीरिया फैल सकता है।
  • जैसे कि संक्रमित व्यक्ति का रूमाल, खिलौने, बर्तन आदि।

4. कमजोर इम्यून सिस्टम

  • जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, वे डिप्थीरिया के संक्रमण का शिकार अधिक होते हैं।
  • खासकर बच्चे और बुजुर्ग, जो अधिक संवेदनशील होते हैं, इस संक्रमण की चपेट में जल्दी आ सकते हैं।

5. टीकाकरण का अभाव

  • डिप्थीरिया से बचाव के लिए टीकाकरण एक प्रभावी तरीका है।
  • जिन लोगों को डिप्थीरिया का टीका नहीं लगा होता है, उनमें इस संक्रमण के होने का खतरा बढ़ जाता है।

डिप्थीरिया से बचाव के उपाय

  • नियमित रूप से टीकाकरण करवाएं।
  • संक्रमण फैलाने वाले लोगों से दूरी बनाए रखें।
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें और अपने हाथों को बार-बार धोएं।

डिप्थीरिया के कारणों को समझना आवश्यक है ताकि इसके लक्षणों को समय रहते पहचाना जा सके और आवश्यक उपचार किया जा सके।

डिप्थीरिया का खतरा किसे अधिक है?

डिप्थीरिया एक गंभीर संक्रमण है जो कॉरीनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह गले, नाक और कभी-कभी त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है। डिप्थीरिया का संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है, खासकर उन लोगों में जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। आइए जानते हैं कि किन लोगों को डिप्थीरिया का खतरा सबसे अधिक रहता है और इसे कैसे रोका जा सकता है।

डिप्थीरिया का खतरा किन लोगों को अधिक होता है?

  1. बच्चे और नवजात शिशु – जिन बच्चों को समय पर डिप्थीरिया का टीका नहीं लगा होता, उनमें इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है। पांच साल से कम उम्र के बच्चे विशेष रूप से इस बीमारी के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  2. बड़े और वृद्ध लोग – जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। वृद्ध लोगों में टीकाकरण का असर कम हो सकता है, जिससे संक्रमण का जोखिम बढ़ता है।
  3. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग – जिनकी इम्यूनिटी किसी बीमारी या अन्य कारणों से कमजोर हो जाती है, वे भी डिप्थीरिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
  4. टीकाकरण ना करवाने वाले लोग – जिन लोगों को बचपन में डिप्थीरिया का टीका नहीं मिला, या जो बूस्टर डोज नहीं लेते, उनमें इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
  5. गंदगी और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहने वाले लोग – अस्वच्छ परिवेश और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहने वाले लोग भी संक्रमण के अधिक जोखिम में होते हैं, क्योंकि डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।

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डिप्थीरिया से बचाव कैसे करें?

डिप्थीरिया एक संक्रामक बैक्टीरियल रोग है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और गंभीर मामलों में जानलेवा हो सकता है। इसके लक्षणों में गले में खराश, बुखार, निगलने में कठिनाई, और त्वचा पर घाव शामिल हैं। बच्चों में यह रोग अधिक खतरनाक होता है, इसलिए समय पर टीकाकरण करवाना अत्यंत आवश्यक है। डिप्थीरिया से बचने के लिए डिप्थीरिया-टीकाकरण (डीटीपी) सबसे प्रभावी उपाय है। यह टीका आमतौर पर बच्चों को बचपन में लगाया जाता है, जिससे उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके अतिरिक्त, यदि किसी व्यक्ति के संपर्क में संक्रमित व्यक्ति आता है, तो उससे उचित दूरी बनाए रखना भी संक्रमण से बचाव में सहायक हो सकता है।

डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा।
डिप्थीरिया से बच्चों की मौते भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा।

डिप्थीरिया के संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें, विशेष रूप से बाहर से आने के बाद। भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें, और यदि जाना आवश्यक हो, तो मास्क का उपयोग करें। संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में रहने से बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, स्वस्थ खानपान और नियमित व्यायाम से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है, जिससे शरीर संक्रमण से लड़ने में अधिक सक्षम बनता है। डिप्थीरिया से बचाव के इन उपायों को अपनाकर हम अपने और अपने परिवार को इस खतरनाक रोग से सुरक्षित रख सकते हैं।

डिप्थीरिया से बचाव के लिए डॉक्टर से कब सम्पर्क करे।

डिप्थीरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है और गले तथा श्वास नली को प्रभावित करती है। अगर आपको या आपके बच्चे को तेज बुखार, गले में दर्द, गले में सूजन, और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो यह डिप्थीरिया के लक्षण हो सकते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना बेहद जरूरी है, क्योंकि समय पर उपचार न मिलने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। डिप्थीरिया से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है, और समय-समय पर इसकी जांच करवाना भी आवश्यक है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए, किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष

डिप्थीरिया एक गंभीर बीमारी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सही समय पर टीकाकरण और उचित देखभाल से इस बीमारी से बचा जा सकता है। अगर आपको या आपके परिवार में किसी को डिप्थीरिया के लक्षण दिखाई दें, जैसे गले में खराश, बुखार, या सांस लेने में दिक्कत, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

frequently asked questions (FAQs)

  1. डिप्थीरिया क्या है?
    डिप्थीरिया एक संक्रामक बैक्टीरियल संक्रमण है जो मुख्य रूप से गले और नाक के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है। इसका कारण कोराइनबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया है, जो शरीर में एक जहरीला पदार्थ बनाता है। इस संक्रमण से गले में झिल्ली जैसी संरचना बन जाती है, जिससे साँस लेने में कठिनाई हो सकती है।
  2. डिप्थीरिया के लक्षण क्या होते हैं?
    डिप्थीरिया के लक्षणों में गले में दर्द, बुखार, सूजन, साँस लेने में कठिनाई, आवाज में भारीपन और गर्दन में सूजन शामिल हैं। कुछ मामलों में त्वचा पर घाव भी हो सकते हैं। लक्षण संक्रमण के 2-5 दिनों के बाद दिखाई देते हैं।
  3. डिप्थीरिया कैसे फैलता है?
    डिप्थीरिया संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा के माध्यम से फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आने से या संक्रमित वस्तुओं को छूने से भी यह फैल सकता है। यही कारण है कि यह संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है।
  4. डिप्थीरिया का इलाज कैसे किया जाता है?
    डिप्थीरिया के इलाज के लिए एंटीटॉक्सिन और एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। एंटीटॉक्सिन बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करता है, जबकि एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होना भी आवश्यक हो सकता है।
  5. क्या डिप्थीरिया से बचाव के लिए टीका उपलब्ध है?
    हाँ, डिप्थीरिया से बचाव के लिए टीका उपलब्ध है, जिसे डीपीटी (DPT) वैक्सीन कहा जाता है। यह टीका बच्चों को 2, 4 और 6 महीने की उम्र में दिया जाता है और बाद में बूस्टर डोज भी दी जाती है। वयस्कों के लिए भी यह आवश्यक हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां डिप्थीरिया का प्रकोप होता है।
  6. डिप्थीरिया क्या है और यह कैसे फैलता है?
    डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो Corynebacterium diphtheriae नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बीमारी खांसी, छींक या सीधे संपर्क में आने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है।
  7. डिप्थीरिया के लक्षण क्या हैं और ये कितने समय में दिखते हैं?
    डिप्थीरिया के मुख्य लक्षणों में गले में खराश, बुखार, सूजन, और सफेद झिल्ली बनना शामिल हैं। लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 2-5 दिन बाद दिखाई देते हैं।
  8. डिप्थीरिया के इलाज के लिए कौन सी दवाएं दी जाती हैं?
    डिप्थीरिया के इलाज में एंटीबायोटिक्स और एंटीटॉक्सिन का उपयोग किया जाता है। एंटीबायोटिक्स से बैक्टीरिया का फैलाव रोका जाता है और एंटीटॉक्सिन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है।
  9. डिप्थीरिया से बचाव के लिए कौन सा टीका दिया जाता है?
    डिप्थीरिया से बचने के लिए डीटीपी (DTP) टीका दिया जाता है, जो डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (काली खांसी) से बचाव करता है। बच्चों को शुरुआती उम्र में इसका टीका लगाया जाता है और समय-समय पर बूस्टर डोज़ दी जाती है।
  10. डिप्थीरिया बच्चों और बड़ों में कैसे अलग-अलग प्रभाव डालता है?
    डिप्थीरिया बच्चों में तेजी से फैल सकता है और गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे कि दिल की बीमारी और श्वास संबंधी समस्याएं। बड़ों में, खासकर जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है, डिप्थीरिया घातक हो सकता है।

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